Sunday, July 29, 2012

नॉर्दन ग्रिड फेल, नौ राज्यों की बत्ती गुल

नई दिल्ली।। रात करीब ढाई बजे नॉर्दन ग्रिड फेल हो जाने के कारण दिल्ली सहित उत्तर भारत के 9 राज्यों में ब्लैक आउट हो गया। बिजली फेल होने के कारण दिल्ली की लाइफ लाइन मेट्रो के पहिये थम गए, बिजली से चलने वाली 300 से ज्यादा ट्रेनें फंस गईं, पानी की सप्लाई ठप हो गई, अस्पतालों में मरीज कराह उठे, रेड लाइटों पर जगह-जगह जाम लग गयाऔर स्ट्रीट लाइटें बंद हो गईं। हर कोई शख्स बिजली गुल होने से परेशान दिखा। लोग रात भर सो नहीं पाए। हालांकि सुबह 7 बजे के बाद धीरे-धीरे बिजली की सप्लाई नॉर्मल होनी शुरू हो गई । मेट्रो के अधिकारियों के मुताबिक 7 बजे के बाद मेट्रो का 25 फीसदी ऑपरेशन शुरू हो गया था, जो करीब 9 बजे के बाद पूरी तरह से पटरी पर आ गई।

उधर, दिल्ली जल बोर्ड के सभी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद हो जाने के कारण सुबह के समय पानी की सप्लाई नहीं हुई। लोगों को शाम के वक्त ही पानी सप्लाई हो पाएगा। पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन की टीमें लाइनों में आई खराबी को दूर करने में लगी हुई हैं।

कुछ शहरों में तकरीबन सुबह 9 बजे से बिजली की सप्लाई बहाल कर दी गई है। इनमें जयपुर, रोहतक, चंडीगढ़ के कुछ सेक्टरों, लखनऊ और वाराणसी शामिल हैं। एनटीपीसी की ओर से कहा गया है कि नॉर्दर्न ग्रिड में आई खराबी को ठीक कर बिजली की सप्लाई को पूरी तरह से बहाल करने में दोपहर 2 बजे तक का समय लगेगा।

नॉर्दन ग्रिड से मिली जानकारी के मुताबिक रात 2 बजकर 32 मिनट पर 400 केवी की ग्वालियर-आगरा सर्किट-2 व 400 केवी की ही जेरदा-कंकरोली इंटर रीजनल लाइनों में खराबी आ गई, जिसके कारण नॉदर्न ग्रिड फेल हो गया। ग्रिड के फेल होते ही पूरा उत्तर भारत संकट में आ गया। हालांकि, दिल्ली को बिजली की सप्लाई करने वाले 705 मेगावॉट क्षमता वाले बदरपुर थर्मल पॉवर प्लांट की 3 यूनिटें और नरौरा, सिम्भावली व राजस्थान के भीनमाल पॉवर प्लांट चलते रहे। आठ घंटे से ज्यादा समय तक 9 राज्यों में बिजली की सप्लाई ठप रही।

ग्रिड की खराबी के कारण दिल्ली, हिमाचल, जम्मू- काश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश की बिजली सप्लाई चरमरा गई। यहां बिजली की सप्लाई नॉर्मल करने के लिए ईस्टर्न और वेस्टर्न ग्रिड से बिजली की सप्लाई लेनी पड़ी।

दिल्ली जल बोर्ड के मेंबर वॉटर सप्लाई बी. एम. धौल के मुताबिक बिजली गुल होने के कारण सुबह 7 बजे तक सभी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट ठप हो गए। 7 बजे के बाद नांगलोई वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को छोड़कर सभी प्लांटों में उत्पादन शुरू हो गया था। प्लांट बंद रहने के कारण सुबह के समय राजधानी में पानी की सप्लाई नहीं होगी। शाम के वक्त ही लोगों को पानी की सप्लाई हो पाएगी। मेट्रो बंद होने के कारण आज सुबह डीटीसी की बसों में जबरदस्त भीड़ देखने को मिली। मेट्रो में सफर करने वाले लोगों को मेट्रो बंद होने के कारण बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा।

Wednesday, July 11, 2012

मध्यवर्ग पर बयान का गलत मतलब निकालाः चिदंबरम

भारत में मध्यवर्ग के बारे में अपने बयान पर विवाद को लेकर गृह मंत्री पी चिदंबरम ने हैरानी जताई है और कहा है कि मीडिया ने इसका गलत मतलब निकाला है. भारत में बढ़ती महंगाई के कारण नियमित विवाद उठते रहे हैं. "वह(चिदंबरम) सवाल और जवाब का गलत मतलब निकाले जाने के बाद बेहद हैरान और दुखी हैं." चिदंबरम ने बंगलूरु में एक पत्रकार सम्मेलन में मीडिया से सवालों के जवाब में यह बयान दिया था. प्रेस रिपोर्टों के मुताबिक चिदंबरम ने कहा कि लोग आईसक्रीम के लिए 20 रुपए देने को तैयार हैं लेकिन गेहूं और चावल में एक रूपए की बढ़त का विरोध कर रहे हैं. गृह मंत्रालय ने उनका बचाव करते हुए कहा है कि चिदंबरम "हम" शब्द का इस्तेमाल कर रहे थे और उन्होंने अपने को भी उसी वर्ग के लोगों के साथ जोड़ने की कोशिश की है. मंत्रालय का कहना है कि गृह मंत्री ने नहीं कहा कि दामों के बढ़ने से शिकायत नहीं होनी चाहिए. गरीब किसानों को इससे फायदा हो रहा है. चिदंबरम भारत में आम आदमी पर बढ़ते दामों के बोझ पर सवाल का जवाब दे रहे थे और उन्होंने अपने जवाब में समाज के अलग अलग वर्गों के लिए सरकारी कार्यक्रमों की बात की. उन्होंने कहा कि किसानों को न्यूनतम आधार मूल्य से फायदा हो रहा है. गांवों में गरीबों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम मनरेगा चलाया जा रहा है जिससे करोड़ों बच्चों को दिन में कम से कम एक बार खाना मिल रहा है. चिदंबरम ने कच्चे तेलों के दाम पर भी कहा था कि सरकार को पहले पेट्रोल के दाम बढ़ाने थे लेकिन मध्यवर्ग को देखते हुए इसे दो बार कम किया गया, "अगर आप गन्ने का दाम बढ़ाते हैं, तो चीनी के दाम भी बढ़ेंगे ही. अगर आप गेहूं, अनाज के दाम बढ़ाते हैं तो ग्राहक को चावल और आटे के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. मैंने एक बार यह लिखा भी है कि हम पानी की एक बोतल के लिए 15 रुपए देने को तैयार हैं लेकिन एक किलो आटे या चावल में एक रुपए का बढ़ना हमें गंवारा नहीं है." वित्त मंत्री का पद संभालने के सिलसिले में अफवाहों के बीच चिदंबरम के बयानों को और करीब से देखा जा रहा है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक जून में थोक कीमतें 7 प्रतिशत बढ़ीं हैं और 2010 से लेकर 2011 और अब 2012 में भी महंगाई दर 9.5 प्रतिशत के करीब हैं. भारत के सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक मई 2011 और मई 2012 के बीच दूध और दूध से बनी चीजों के दाम 14.37 प्रतिशत बढ़े हैं, जबकि सब्जियों की कीमतों में लगभग 24 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. बिजली और इंधन की कीमतें 9 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ीं हैं और खाने के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल 17 प्रतिशत महंगे हो गए हैं. इस साल की शुरुआत में विश्व बैंक ने "ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स" नाम की रिपोर्ट में कहा है कि बढ़ते दामों और उधारों पर बढ़ते ब्याज की वजह से घरेलू खर्चे को कम करना पड़ा है. भारत में 22 प्रतिशत लोगों को "मध्य वर्ग" में गिने जाते हैं लेकिन अब भी 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं. गृह मंत्री ने गांवों और शहरों में गरीबों के लिए सरकारी कार्यक्रमों की बात तो कही है लेकिन इनकी सफलता पर अब भी सवाल उठ रहे हैं. हाल ही में भारत में गोदामों में अनाज के खराब होने की भी बात चली है. सरकार इस अनाज को गरीबों में बांटना नहीं चाहती क्योंकि इससे बाजार में अनाज के दाम अस्थिर हो जाएंगे. विश्व बैंक का कहना है कि भारत में पीने का साफ पानी लोगों को मिल तो रहा है, लेकिन 21 प्रतिशत बीमारियां गंदे पानी से हो रही हैं. भारत में रोजाना 1,600 लोग गंदा पानी पीने से डायरिया जैसी बीमारियों से मारे जाते हैं. ऐसे में मिनरल वॉटर के लिए 15 रुपए खर्च करना उनकी मजबूरी है. रिपोर्टः एमजी(पीटीआई)