Saturday, March 31, 2012

यूपी के 'कमिशनखोर' मंत्रियों की लिस्ट जारी करेगी एसपी

राजन मिश्र ।। उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार पर अपने निजी फायदों के लिए घोटालों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए समाजवादी पार्टी ने कहा है कि वह सूबे के विकास कार्यों में कमिशनखोरी करने वाले मंत्रियों की लिस्ट जल्द ही जारी करेगी।

एसपी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री मायावती ने निजी फायदे और घोटालों को बढ़ावा देने के लिये अपनी सरकार और पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना लिया है। हम जल्द ही ऐसे मंत्रियों और विकास कार्यों में उनके द्वारा लिए गए कमीशन की सूची जारी करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर जांच की जाए तो मायावती सरकार द्वारा किए गए घोटाले बोफोर्स, 2जी स्पेक्ट्रम और राष्ट्रमंडल खेल घोटाले से भी बड़े निकलेंगे। यादव ने दावा किया कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान (एनआरएचएम) के लिये राज्य सरकार ने पिछले चार साल के दौरान मिले 12 हजार करोड़ रुपए में से आधी धनराशि का गबन किया है।

राज्य विधानमंडल का कम से कम एक महीने का सत्र बुलाए जाने की मांग करते हुए एसपी नेता ने कहा कि प्रदेश की ध्वस्त कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार अहम मुद्दे हैं और सरकार को इनके बारे में जवाब देने के साथ-साथ उन पर चर्चा कराने की अनुमति भी देनी चाहिए।

बीएसपी विधायक एसपी में शामिल : उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल बीएसपी के विधायक शेर बहादुर सिंह ने सोमवार को एसपी का दामन थाम लिया। एसपी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने यहां बताया कि आंबेडकरनगर के जलालपुर क्षेत्र से बीएसपी विधायक शेरबहादुर सिंह एसपी की नीतियों में आस्था व्यक्त करते हुए पार्टी में शामिल हो गए। एसपी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सिंह का स्वागत करते हुए कहा कि उनके आने से पार्टी को और मजबूती मिलेगी।

Thursday, March 29, 2012

मायावती के खास अफसरों को महत्वहीन विभागों में तैनाती


 राजन मिश्र : यही कोई दो हफ्ते का इंतजार कराने के बाद अखिलेश यादव सरकार ने मायावती के खास समझे जाने वाले आइएएस अफसरों को तैनाती तो दे दी लेकिन उन्हें ऐसे विभागों में भेजा गया है, जिन्हें ब्यूरोक्रेसी में बतौर सजा वाली पोस्टिंग माना जाता है। मायावती सरकार में नवनीत सहगल सचिव मुख्यमंत्री तो थे ही, दर्जन भर दूसरे महत्वपूर्ण विभाग भी उनके पास थे लेकिन उन्हें अब राजस्व परिषद का न्यायिक सदस्य बनाकर इलाहाबाद भेज दिया गया है। मायावती के बेहद खास समझे जाने वाले कुंवर फतेहबहादुर को धमार्थ कार्य विभाग का प्रमुख सचिव बना दिया गया है। बसपा सरकार में वह प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं प्रमुख सचिव नियुक्ति हुआ करते थे। नेतराम को राष्ट्रीय एकीकरण विभाग में भेज दिया गया हे। नेतराम भी बसपा सरकार में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री हुआ करते थे। मायावती सरकार में अपर कैबिनेट सचिव रहे रवींद्र सिंह को प्रमुख सचिव खेलकूद एवं युवा कल्याण विभाग के पद पर तैनाती दे दी गई है। इसी तरह दुर्गाशंकर मिश्र को प्रमुख सचिव लघु सिंचाई बना दिया गया है। वह मायावती सरकार में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री हुआ करते थे। बसपा सरकार में नोएडा के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण तैनाती पाने वाले मोहिन्दर सिंह अब प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन होंगे। उसी सरकार में सचिव मुख्यमंत्री रहे अनिल संत और चंद्रभानु को अब क्रमश: सदस्य न्यायिक राजस्व परिषद इलाहाबाद और सचिव नागरिक सुरक्षा के पद पर तैनाती दी गई है। कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह के प्रमुख स्टाफ अफसर रहे सचिव सचिवालय प्रशासन के पद पर भेज दिया गया है। इन सभी अधिकारियों को शपथ लेने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 15 मार्च को वेटिंग लिस्ट में डाल दिया था, तब से यह अधिकारी तैनाती की प्रतीक्षा कर रहे थे।
गुरुवार को कुल 17 अधिकारियों को नई तैनाती प्रदान की गई। अर्चना अग्रवाल को आयुक्त खाद्य एवं रसद के पद पर स्थानांतरित कर दिया गया है। अभी तक वह आयुक्त खाद्य एवं औषधि प्रशासन और सचिव खाद्य और औषधि नियंत्रण विभाग थीं। प्रतीक्षारत आशीष गोयल आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद, सचिव मानवाधिकार आयोग डॉ.अशोक कुमार वर्मा को निदेशक (प्रशासन) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, विशेष सचिव चिकित्सा रंजन कुमार जिलाधिकारी प्रबुद्धनगर, जिलाधिकारी सोनभद्र विजय विश्वास पंत को प्रबंध निदेशक पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम के पद पर तैनाती प्रदान की गई है। अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक पावर कारपोरेशन अवनीश कुमार अवस्थी को वर्तमान पद के साथ-साथ प्रबंध निदेशक राज्य विद्युत पारेषण निगम, सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मुहम्मद मुस्तफा को वर्तमान पद के साथ-साथ आयुक्त चकबंदी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है। प्रमुख सचिव नवतेज सिंह से राष्ट्रीय एकीकरण एवं सामान्य प्रशासन विभाग ले लिया गया है। वह प्रमुख सचिव प्रशासनिक सुधार और उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के पद पर कार्य करते रहेंगे।

देवेगौड़ा को की गई थी पीएम रहते घूस की पेशकश


राजन मिश्र । कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा है कि उनके पिता एचडी देवेगौड़ा के प्रधानमंत्री रहने के दौरान हथियार के दलालों ने उन्हें [उनके पिता को] रिश्वत की पेशकश की थी। गौरतलब है कि एचडी देवगौड़ा एक जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक देश के प्रधानमंत्री थे।
इस खुलासे से पता चलता है कि देश में रक्षा सौदौं के बिचौलियों की ताकत कितनी है। अभी कुछ दिनों पहले ही सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने खुलासा किया कि उन्हें रक्षा सौदे में 14 करोड़ रुपये रिश्वत देने की पेशकश की गई थी।
रक्षा सौदे में रिश्वत के आरोपों के कारण सियासी तूफान के बीच कुमारस्वामी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि एक रक्षा सौदे को लेकर बिचौलिये ने रिश्वत की पेशकश के साथ मुझसे और मेरे पिता से संपर्क साधा था। यह तब हुआ था जब 1996 में मेरे पिता प्रधानमंत्री थे।
हालांकि कुमारस्वामी ने अपने दावे के समर्थन में कोई साक्ष्य पेश नहीं किया है। जब उनसे पूछा गया कि आखिर 16 साल बाद वह क्यों इस बारे में खुलासा कर रहे हैं इस पर कुमारास्वामी ने कहा कि सेनाध्यक्ष के खुलासे ने उन्हें ऐसा करने को प्रेरित किया है।

Wednesday, March 28, 2012

जनरल के दावों पर एंटनी की धमकी

राजन मिश्र . सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी गोपनीय चिट्ठी का ब्‍यौरा   'डीएनए' में छपने के बाद बुधवार को संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा हुआ। सरकार को सफाई देनी पड़ी कि सेना की तैयारियों में कोई कमी नहीं है और देश पूरी तरह सुरक्षित है। रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने राज्‍यसभा में कहा कि "रक्षा के मुद्दों पर पब्लिक डिबेट नहीं कर सकते हैं। हमारी मंशा पर सवाल उठाने पर कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में पीएम से बात कर उचित कार्रवाई होगी।"

आर्मी चीफ को करोड़ों की घूस  की पेशकश मामले में सीबीआई ने जनरल वी के सिंह को चिट्ठी लिखकर उनसे तत्‍काल लिखित शिकायत देने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने रक्षा मंत्रालय से टाट्रा सौदे से जुड़ी सभी फाइलें तलब की हैं, जिसका जिक्र जनरल सिंह ने अपने इंटरव्‍यू में किया था। सीबीआई टाट्रा डील के सभी पक्षों की जांच कर सकती है। 

इससे पहले दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा होने लगा और प्रश्‍नकाल नहीं चल सका। राज्‍यसभा में जेडी(यू) नेता शिवानंद तिवारी ने सेनाध्‍यक्ष को बर्खास्‍त किए जाने की मांग की, वहीं बीजेपी ने इस पर सरकार से जवाब मांगा है। जनरल की चिट्ठी पर हंगामे से पैदा हुए हालात पर चर्चा के लिए पीएम मनमोहन सिंह ने संसद स्थित अपने कार्यालय में ए के एंटनी और पी. चिदंबरम सहित कुछ आला कबीना मंत्रियों के साथ बैठक की। 

तिवारी ने जनरल की पीएम को लिखी चिट्ठी मीडिया में लीक होने पर चिंता जताते हुए कहा कि यह गोपनीय चिट्ठी लीक नहीं होनी चाहिए थी। लेकिन हंगामा जारी रहते देख स्‍पीकर ने सदन की कार्यवाही स्‍थगित कर दी। राज्‍यसभा में सदस्‍यों ने उस शख्‍स के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की जिसने जनरल की चिट्ठी लीक की।

एंटनी ने क्‍या कहा?

सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो एंटनी ने जनरल की चिट्ठी पर सफाई देते हुए कहा कि देश की सैन्‍य तैयारियां मजबूत हैं। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि देश की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। देश की सुरक्षा सबसे ऊपर है और इससे किसी तरह का समझौता बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। सरकार खरीद प्रक्रिया की समीक्षा करती रही है।’ 
लोकसभा में बीजेपी नेता जसवंत सिंह ने इस मसले पर संसद में चर्चा के लिए नोटिस दिया। प्रश्‍नकाल स्‍थगित करने की मांग की गई। हंगामे के बाद लोकसभा की कार्यवाही भी स्‍थगित करनी पड़ी।

सपा, जेडी(यू) ने जनरल पर साधा निशाना

शिवानंद तिवारी ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कहा, ‘यह घोर अनुशासनहीनता का मामला है। आर्मी चीफ ने पहले एक अखबार को इंटरव्‍यू दिया फिर पीएम को सेना की बदहाली के बारे में लिखी उनकी चिट्ठी लीक हो गई।' इससे पहले सपा नेता रामगोपाल यादव ने भी आर्मी चीफ पर निशाना साधा था। राजद मुखिया लालू प्रसाद ने टिप्‍पणी की है, 'ऐसा लगता है कि आर्मी चीफ चुनाव लड़ना चाहते हैं।' 

सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर जद (यू) नेता तिवारी का रुख थोड़ा नरम दिखा। लेकिन उन्‍होंने कहा कि मीडिया में फौज पर विवाद ठीक नहीं है। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने गोपनीय चिट्ठियां लीक होने को गंभीर मसला बताया है। उन्‍होंने कहा कि गोपनीय दस्‍तावेजों के खुलासे की जांच होनी चाहिए। बीजू जनता दल ने भी जनरल सिंह को तत्‍काल बर्खास्‍त करने की मांग की है।  

चिट्ठी में सेना प्रमुख ने भारतीय सेना की खस्‍ताहाली का पूरा ब्‍यौरा दिया है। उन्‍होंने जो मुद्दे उठाए हैं, उनसे विशेषज्ञ भी सहमत हैं और देश की सुरक्षा के लिए गंभीर बता रहे हैं। रक्षा राज्‍यमंत्री ने भी माना है कि सेना की तैयारियों में कमी है और इस पर सरकार गंभीर है।

हताश हैं जनरल: व्‍यालार रवि  

जनरल की चिट्ठी लीक हो जाने से बीजेपी ने सरकार पर निशाना साधा तो कांग्रेस मुश्किल में दिखाई दी। राज्‍यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि सेना में खरीद को लेकर मीडिया में आ रही खबरें चिंताजनक हैं। सरकार को सेना की जरूरतों पर ध्‍यान देना चाहिए। बीजेपी ने कहा है कि यह सरकार चलाने का कोई तरीका नहीं है। सरकार देश की सुरक्षा में लगे सैनिकों का मनोबल कम कर रही है। बीजेपी प्रवक्‍ता बलबीर पुंज ने कहा है कि सेना की खस्‍ताहालत को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री व्‍यालार रवि ने कहा कि ऐसा लगता है कि जनरल सिंह हताश व्‍यक्ति हैं।

नए सीएम अखिलेश यादव की संपत्ति 5 करोड़

लखनऊ.राजन मिश्र, यूपी के नए सीएम अखिलेश यादव ने अपनी संपत्ति का ब्‍यौरा सार्वजनिक किया है। राज्य सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक अखिलेश के पास करीब पांच करोड़ (4,83,11,601 रुपये) की संपत्ति है। अखिलेश पर 15,90,000 रुपये की देनदारियां हैं। उनके  पास चल संपत्ति के रूप में एक पजेरो कार है जिसकी कीमत 20,16,000 रुपये बताई गई है।
 
जीवन बीमा, म्यूचुअल फंड, साधारण बीमा समेत कुल निवेश 1,08,54,103 रुपये है। अखिलेश यादव के पास 97,923 रुपये नगद हैं जबकि विभिन्न बैंकों में 1,17,30,325 रुपये जमा हैं। दिलचस्प यह है कि अखिलेश ने अपने परिवार के लोगों, अपनी पार्टी (सपा) को 1,37,29,181 रुपये लोन और एडवांस के तौर पर उधार भी दिये हैं।
 
अखिलेश (उनकी संपत्ति का पूरा ब्योरा पढ़ें)ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को 22,24,416 रुपये, भाई प्रतीक यादव को 1,11,50,000 रुपये, समाजवादी पार्टी को 1,19,000 रुपये और अपने अविभाजित हिंदू परिवार को 1,83,765 रुपये उधार दिये हैं। 

Tuesday, March 27, 2012

आर्मी चीफ की पीएम को चिट्ठी- हमला हुआ तो बचाने की गारंटी नहीं

राजन मिश्र . सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने देश की सुरक्षा को खतरे में बताया है। उन्होंने इस बाबत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गोपनीय चिट्ठी लिखी है। पत्र में कहा गया है कि सेना के टैंक का गोला-बारूद खत्म हो चुका है। हवाई सुरक्षा के उपकरण अपनी ताकत खो चुके हैं। इतना ही नहीं पैदल सेना के पास हथियारों तक की कमी है। 31 मई को रिटायर होने जा रहे सेना प्रमुख जनरल सिंह उम्र विवाद के बाद 14 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश मामले से विवादों में हैं। जनरल सिंह ने सेना की खस्ता हालत के बारे में 12 मार्च को प्रधानमंत्री को पांच पन्ने की चिट्ठी लिखी। चिट्ठी मंगलवार को सामने आई है। सिंह ने पत्र में लिखा, ‘हमारे सभी प्रयासों और रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के बावजूद तैयारियां नहीं दिख रही है। मैं यह सूचित करने को विवश हूं कि सेना की मौजूदा हालत संतोषजनक से कोसों दूर है। ‘खोखलेपन’ की स्थिति से बहुत ज्यादा स्पष्ट अंतर नहीं दिख रहा। हालांकि, सरकारने भी माना है कि सेना की तैयारियों में कमी है और वह इसे गंभीरता से ले रही है। सेना की खामियां तुरंत दूर करने की जरूरत दो विरोधी पड़ोसियों से देश की सुरक्षा सेना की क्षमताओं से जुड़ी है। इस वजह से सेना की खामियों को तत्काल प्रभाव से दूर करने की जरूरत है। देश के प्रमुख हथियारों की हालत भयावह है। इनमें मैकेनाइज्ड फोर्सेस, तोपखाने, हवाई सुरक्षा, पैदल सेना और विशेष फोर्सेस के साथ ही इंजीनियर्स और सिग्नल्स शामिल हैं।’ चिट्ठी में और भी कुछ मुद्दों को उठाया है, आईटीबीपी के संचालन का अधिकार सेना को चाहिए। सेना में हवाई बेड़े की जरूरतों को पूरा किया जाए। चीन उत्तरी सीमा पर बड़ी तेजी से विकास कार्य कर रहा है। ऐसे में राज्यों से सिंगल विंडो क्लीयरेंस के तहत बुनियादी विकास की अनुमति दिलवाई जाए। रक्षा विशेषज्ञ भी जनरल सिंह की चिंता से इत्तफाक रखते हैं। जनरल की चिट्ठी मीडिया में लीक होने से सियासी पाराभी चढ़ गया है। जनरल सिंह के खत के मुताबिक सेना के पास हथियार और साज-ओ-सामान समेत कई चीजों की कमी है। खत में सेना के सामने मौजूद इन चुनौतियों का जिक्र किया गया है: -दुश्मन को शिकस्त देने के लिए टैंक के बेड़े के पास गोला-बारूद खत्म होने के कगार पर। -तोपखाने में फ्यूज नहीं, अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर में खरीदी व कानूनी प्रक्रिया का अडंग़ा। -हवाई सुरक्षा के 97 फीसदी उपकरण बेकार, हवाई हमले से बचाने का भरोसा नहीं। -पैदल सेना के पास पर्याप्त हथियारों का अभाव, रात में लडऩे की क्षमता भी नहीं रही। -विशेष फोर्सेस के पास जरूरी हथियार नहीं, युद्ध में काम आने वाले पैराशूट्स भी खत्म हुए। -सेना की निगरानी में बड़े स्तर पर खामियां, यूएवी और निगरानी के लिए जरूरी रडार नहीं। -एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल्स की मौजूदा उत्पादन क्षमता और उपलब्धता बेहद कम। -लंबी दूरी तक मार करने वाले तोपखाने में वेक्टर्स (पिनाका व स्मर्च रॉकेट सिस्टम) का अभाव।

सपा ने सेना प्रमुख की तुलना अमर सिंह से


राजन मिश्र . कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए की सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी घूस की पेशकश के मामले में जनरल वीके सिंह पर निशाना साधने में केंद्र सरकार के साथ खड़ी दिख रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने जनरल सिंह को सलाह दी है कि वे ज़्यादा न बोलें क्योंकि इससे सेना की साख गिर सकती है। सेना प्रमुख ने हाल ही में दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि किसी ने उन्हें 14 करोड़ रुपये घूस की पेशकश की थी।


नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में राम गोपाल यादव ने सेना अध्यक्ष की तुलना समाजवादी पार्टी से अलग हो चुके नेता अमर सिंह से करते हुए कहा, 'इस देश में सब लोग सेना का सम्मान करते हैं। लेकिन बहुत ज़्यादा बोलने से सेना प्रमुख की विश्वसनियता घटती है। हमने अपनी पार्टी में भी ऐसा देखा है कि किस तरह अमर सिंह बहुत ज़्यादा बोलने की वजह से अपनी साख गंवा बैठे।'

हालांकि, घूस की पेशकश किए जाने के मुद्दे पर राम गोपाल यादव ने कहा,  'रक्षा मंत्री को जब घूस की बात बताई गई थी, तब एंटनी को एक्शन लेना चाहिए था, ऐसा न होने से मामला रफा दफा हो जाता है।' सपा नेता के मुताबिक एंटनी को सेना प्रमुख के रुख को नज़रअंदाज करते हुए घूस की पेशकश मामले की जांच करवानी चाहिए थी। उन्होंने कहा, 'मैं जानता हूं कि रक्षा मंत्री एक ईमानदार व्यक्ति हैं। National opposition asks govt to terminate army chief लेकिन जब जनरल ने कहा कि वे नहीं चाहते कि मामले को आगे बढ़ाया जाए तो रक्षा मंत्री को सेना प्रमुख की बात को नहीं मानना चाहिए था।'

कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर जिम्मेदारी सेना प्रमुख पर डालते हुए कहा है कि उन्हें तुरंत एक्शन लेना चाहिए था और रक्षा मंत्री को लिखित शिकायत देनी चाहिए थी। मनीष तिवारी ने जनरल वीके सिंह पर निशाना साधते हुए कहा, 'यह गंभीर मुद्दा है। अगर किसी ने उन्हें (सेना प्रमुख को) घूस की पेशकश की थी तो मुझे लगता है कि सरकारी कर्मचारी होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वे उस शख्स के खिलाफ शिकायत करते।'

इस मुद्दे पर मंगलवार को संसद में ज़्यादातर राजनीतिक दलों ने यह बात कही कि सेना प्रमुख को घूस की पेशकश होने पर लिखित शिकायत करनी चाहिए थी। बीजेपी ने कहा है कि एंटनी का 'अनिर्णय' इस पूरे मामले के लिए जिम्मेदार हो सकता है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने कहा, 'मुझे इस बात से निराशा है कि जनरल सिंह ने सीधे मीडिया से बात की। मैं रक्षा मंत्री को जानता हूं। उन्हें फैसले न लेने में महारत हासिल है। उनके (रक्षा मंत्री के) द्वारा फैसला न लेने के चलते सेना प्रमुख को कोर्ट जाना पड़ा।' 

सीपीआई नेता डी. राजा ने सेना प्रमुख के खुलासे के समय पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, 'वे अब ये सब बातें क्यों बता रहे हैं? वे पहले क्या कर रहे थे? कोई जनरल से कैसे संपर्क कर उन्हें घूस की पेशकश कर सकता है? अगर वे उम्र विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं तो वे देश को घूस की पेशकश की बात क्यों नहीं बता सके?' 

सेना में घूसखोरी: आर्मी चीफ पर केस

राजन मिश्र . रक्षा मंत्री ए के एंटनी की ओर से संसद में अपना नाम लिए जाने के बाद रिश्‍वत की पेशकश के आरोपी ले. जन. (रिटायर्ड) तेजिंदर सिंह ने आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह के खिलाफ मानहानि का केस किया है। सीबीआई जनरल सिंह के आरोपों की जांच कर रही है। सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक जांच एजेंसी आर्मी चीफ से उनके आरोपों के बारे में लिखित शिकायत करने को कह सकती है। 
 
तेजिंदर सिंह ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि उनके खिलाफ आरोप लगाने वालों को सबूत पेश करना चाहिए। तेंजिदर ने माना कि वह अगस्‍त 2010 में जनरल वी के सिंह से आखिरी बार मिले थे। लेकिन यह मीटिंग ‘रीइम्‍प्‍लॉयमेंट’ के मसले पर थी। जनरल सिंह ने रीइम्‍प्‍लॉयमेंट के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी।
तेजिंदर सिंह ने किसी कंपनी के लिए बिचौलिये का काम करने से साफ इनकार किया। उन्‍होंने कहा, ‘मैंने जनरल सिंह के सामने रिश्‍वत लेने के लिए पेशकश नहीं की। मैंने कभी किसी को घूस लेने के लिए नहीं कहा। मैंने टैट्रा या हथियार बनाने वाली किसी भी कंपनी के लिए काम नहीं किया है। किसी कंपनी के लिए काम करने का सवाल ही नहीं उठता है। इतनी बड़ी (14 करोड़ रुपये की) पेशकश करने के लिए जनरल के साथ दोस्‍ताना रिश्‍ते होने चाहिए। मैं जनरल का दोस्‍त नहीं हूं। मेरे उनके साथ प्रोफेशनल रिश्‍ते रहे हैं।'
 
एंटनी ने भी माना है कि ले. जन. के पद से रिटायर होने वाले तेजिंदर सिंह ने आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह के सामने घूस की पेशकश की थी। एंटनी ने कहा, ‘करीब साल भर पहले जनरल वीके सिंह ने बताया‍ कि तेजिंदर सिंह ने उन्‍हें रिश्‍वत की पेशकश की है। मैं भी इसे सुनकर आश्‍चर्यचकित रह गया। मैंने उन्‍हें इस मामले में कार्रवाई के लिए कहा। लेकिन उन्‍होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि तेजिंदर के खिलाफ कार्रवाई हो। मुझे अभी तक आर्मी चीफ की तरफ से कोई लिखित शिकायत नहीं मिली।’  
 
रिश्‍वत की पेशकश के आर्मी चीफ के दावे पर राज्‍यसभा में आज बयान देते हुए एंटनी ने कहा कि 'मैं सेना के आधुनिकीकरण के पक्ष में हूं लेकिन  भ्रष्‍टाचार बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। भ्रष्‍टाचारी चाहे कितना भी ताकतवर हो, उसे बख्‍शा नहीं जाएगा। यदि मैं गलत हूं तो मुझे दंड दिया जाए लेकिन मैंने अपना कर्तव्‍य सही तरीके से निभाया है। अब मामले की जांच सीबीआई करेगी।' 
 
हालांकि विपक्ष एंटनी के जवाब से संतुष्‍ट नहीं दिखा। बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा कि सरकार को ‘प्रो एक्टिव’ कदम उठाने चाहिए थे और इस तरह के हालात से बचना चाहिए था। सदन से बाहर निकलते ही पत्रकारों ने एंटनी को घेर लिया और सवालों की बौछार कर दी। हालांकि रक्षा मंत्री ज्‍यादा कुछ नहीं बोले और कहा‍ कि उन्‍होंने सदन में सबकुछ कह दिया है। रक्षा मंत्री ने भले ही सबकुछ कह दिया लेकिन एंटनी के बयान के बाद अब आर्मी चीफ को कई मुश्किल सवालों के जवाब देने पड़ सकते हैं।
 
वीके सिंह को घूस की पेशकश का टेप होने का दावाएक पूर्व सैन्य अधिकारी ने दावा किया है कि सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह और उन्हें घूस की पेशकश करने वाले शख्स के बीच कथित तौर पर हुई बातचीत का टेप मौजूद है। कर्नल (सेवानिवृत्त) आरएसएन सिंह ने यह दावा किया है। आरएसएन सिंह का कहना है कि टेप की रिकॉर्डिंग में एक शख्स कहता है कि सिंह से पहले के सेना प्रमुखों ने घूस ली है और उनके बाद के सेना प्रमुखों का भी खयाल रखा जाएगा। इसके बाद वीके सिंह उस शख्स को अपने दफ्तर से बाहर जाने का आदेश देते हैं। हालांकि, इस टेप की वैधता साबित नहीं हुई है। 
'कोट'
‘मुद्दा करप्‍शन का है तो रक्षा मंत्री को खुद ही कार्रवाई करनी चाहिए थी। उन्‍हें आर्मी चीफ को फोन कर कहना चाहिए था कि इस बारे में आप लिखकर दीजिए।’ 
-भरत वर्मा, रक्षा मामलों के विशेषज्ञ
  
 
अहम सवाल!
एंटनी के आज के बयान से कई सवाल उठते हैं। पहला सवाल यह कि आखिर जनरल सिंह घूस की पेशकश करने वाले अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्‍यों नहीं करना चाहते थे? इसके अलावा यदि रक्षा मंत्री को इस मामले की जानकारी (भले ही मौखिक) मिली, तो उन्‍होंने अपने स्‍तर पर (स्‍वत: संज्ञान लेते हुए) कोई कार्रवाई क्‍यों नहीं की। इतनी गंभीर बात रक्षा मंत्री की जानकारी में आने के बाद भी तेजिंदर सिंह ने बतौर अफसर नौकरी की और सेवा शर्तों के मुताबिक ही रिटायर हुए, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्‍यों नहीं की गई या फिर इस तरह के मामलों की जांच नहीं की गई? जनरल वी के सिंह डेढ़ साल तक चुप क्‍यों बैठे रहे? मंत्री के कहने पर लिखित शिकायत क्‍यों नहीं की?